मुक़द्दर गुमशुदा
और
बशर ग़मज़दा
इत्तेफ़ाक़ भी नही होते
आजकल
पूरे ईमान से
कट रही है ज़िन्दगी
इत्मीनान से!
खुद से जो कभी मिला सका, तो बताऊँगा के कौन हूँ. तब तलक मत पूछिए ,चुपचाप हूँ बस मौन हूँ.
मुक़द्दर गुमशुदा
और
बशर ग़मज़दा
इत्तेफ़ाक़ भी नही होते
आजकल
पूरे ईमान से
कट रही है ज़िन्दगी
इत्मीनान से!