काम की घुड़ दौड़ में
ऐसे भागता रहा हूँ कि
खयालात, ज़ज्बात,
लफ्ज़ – ओ – अल्फ़ाज़
और “तुम”
बस सब मेरी
फ़ुरसत के ही मोहताज़ हैं!
खुद से जो कभी मिला सका, तो बताऊँगा के कौन हूँ. तब तलक मत पूछिए ,चुपचाप हूँ बस मौन हूँ.
काम की घुड़ दौड़ में
ऐसे भागता रहा हूँ कि
खयालात, ज़ज्बात,
लफ्ज़ – ओ – अल्फ़ाज़
और “तुम”
बस सब मेरी
फ़ुरसत के ही मोहताज़ हैं!